Jai Ambe Gauri Aarti: जय अंबे गौरी, मैया जय आनंद करणी… देवी स्तुति के साथ करें मां जगदंबा की आरती

देवी स्तुति

ओम कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् ।
सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि ।।
माया कुण्डलिनी क्रिया मधुमती, काली कला मालिनी ।
मातंगी विजया जया भगवती, देवी शिवा शम्भवी ।
शक्ति शंकर वल्लभा त्रिनयना, वाग्वाहिनी भैरवी ।
ओमकारा त्रिपुरा परार्मयि, भगवती माता कुमारेश्वरी ।।

मां देवी की आरती

ओम जय अंबे गौरी, मैया जय आनंद करणी।
तुमको निशदिन ध्यावत, मैयाजी को पल-पल सेवत हरि ब्रह्मा शिवरी ।।
ओम जय अंबे गौरी । १ ।

मांग सिन्दूर विराजत टीको मृगमद को, मैया टीको मृगमद को
उज्जवल है दो‌य नैना, निर्मल है दो‌य नैना चन्द्रवदन नीको ।।
ओम जय अंबे गौरी । २ ।

कनक समान कलेवर रक्ताम्बर राजै, मैया रक्ताम्बर राजै
रक्तपुष्प गल माला, लालपुष्प गल माला कण्ठन पर साजै ।।
ओम जय अंबे गौरी । ३ ।

कानो में कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती मैया नासाग्रे मोती
कोटिक चन्द्र दिवाकर, कोटिक चन्द्र दिवाकर झिगमिग से ज्योति ।।
ओम जय अंबे गौरी । ४ ।

केहरि वाहन शोभित, खड्ग खप्परधारी मैया खड्ग खप्परधारी
सुर-नर मुनि-जन ध्यावत, सुर-नर मुनि-जन सेवत जिनके दुखहारी ।।
ओम जय अंबे गौरी । ५ ।

दोय भुज चार चतुरभुज दस भुजते सोहे, मैया दस भुजते सोहे
मैयाजी का रूप निरखता, अंबाजी का रूप निरखता त्रिभुवन मन मोहे ।।
ओम जय अंबे गौरी । ६ ।

शुम्भ-निशुम्भ पछाडित महिषासुर घाती, मैया महिषासुर घाती
धूम्र विलोचन नैना, मधुर विलोचन नैना निशदिन मदमाती ।।
ओम जय अंबे गौरी । ७ ।

तुम ब्रहमाणी तुम रुद्राणी तुम कमला राणी, मैया तुम कमला राणी
आगमहि-निगम-बखाणी, आगमहि-निगम-बखाणी तुम शिव पटराणी ।।
ओम जय अंबे गौरी । ८ ।

चौंसठ योगिनी ध्यावत नृत्य करत भैरूं, मैया नृत्य करत भैरूं
बाजत ताल मृदंगा – बाजत ढोल मृदंगा और बाजत डमरु ।।
ओम जय अंबे गौरी । ९ ।

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती मैया अगर कपूर बाती
श्रीमालकेतु में राजत अंबे भवन में राजत कोटि रतन ज्योति ।।
ओम जय अंबे गौरी । १० ।

ओम जय अंबे गौरी, मैया जय आनंद करणी, मैया जय मंगल मूर्ति,
मैया जय शामा शक्ति, मैया जय संकट हरणी,
भय दुख भंजन हारी- भय दुख भंजन हारी रहे सद मतवाली ।।
ओम जय अंबे गौरी । ११ ।

श्री अंबाजी की आरती जो को‌ई नर गावै, ज्योरे मन शुद्ध होय जावे,
ज्योरे पाप परा जावे, ज्योरे सुख सम्पत्ति आवै, ज्योरे दुख दरिद्र जावे,
ज्योरे घर नवनिधि आवे, ज्योरे घर लक्ष्मी आवे, ज्योरे बंधन कट जावे,
भणत भोलानंद स्वामी, रटत शिवानन्द स्वामी, मन इच्छा फल पावे ।।
ओम जय अंबे गौरी । १२ ।

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