Navratri 2021 शारदीय नवरात्रि: जानिए घटस्थापना का शुभ मुहूर्त, देवी मां के इन 11 मंत्रों का करें जाप, पूरी होगी मन की हर मुराद

शारदीय नवरात्रि 2021, Navratri 2021 Muhurat, Navratri 2021 Muhurat Time: मां जगदम्बा का नौ दिवसीय महापर्व शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 7 अक्टूबर, वार गुरुवार से होने जा रही है. शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां जगदंबा के नौ स्वरूपों की अलग-अगल दिनों में विशेष पूजा-अर्चना की जाती है.

देवी भक्तों द्वारा मां जगदम्बा की श्रद्धाभाव से आराधना की जाती है. समस्त देवीभक्त 9 दिन तक मां जगदम्बा की भक्ति में लीन रहकर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. वहीं कई देवी भक्त इन 9 दिनों के दौरान वृत-उपवास करते या निराहार रहते है. उपवास का मतलब है कि दिन में एक समय ही भोजन करना और निराहार का मतलब कुछ भी खाना-पीना नहीं. मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची भावना से मां देवी की आराधना करता है, उनके ऊपर मां जगदम्बा की सदा कृपा बनी रहती है और उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है.

घट स्थापना शुभ मुहूर्त (Ghatasthapana Muhurat Navratri 2021)

ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक घटस्थापना का शुभ मुहूर्त आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगा. बताया जा रहा है कि घटस्थापना का यह समय अतिशुभ और लाभदायक होगा.

चौघड़िये के अनुसार घटस्थापना के दिन गुरुवार को सुबह 6 से 7.30 बजे तक शुभ का समय रहेगा. इसके अलावा सुबह 10.30 से 12 बजे तक चल की समयावधि रहेगी. इस समयावधि को भी ज्योतिषशास्त्रों में शुभ एवं फलदायक माना गया है. वहीं दोपहर 12 से 3 तक की समयावधि लाभ और अमृत प्रदान करने वाली रहेगी. इसके बाद शाम 4.30 से 6 बजे तक शुभ की समयावधि रहेगी. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार घटस्थापना के दिन ये सभी मुहूर्त श्रेष्ठ एवं शुभ माने गए हैं.   

ऐसे करें घटस्थापना (Ghatasthapana Navratri 2021)

सबसे पहले तो मां जगदम्बा का पूजा स्थल उत्तर-पूर्व की दिशा में रखें. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध एवं पवित्र कर लें. फिर लाल रंग का अबोट यानी नया कपड़ा बिछाकर मां जगदम्बा की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें. उसके बाद घी का दीपक जलाएं और प्रथम पूज्य गणेश जी का ध्यान करें. फिर कलश स्थापना या घट स्थापना के लिए जल कलश लें और उसमें रुपए का सिक्का, एक लौंग का जोड़ा, सुपारी हल्दी की गांठ डालें. बाद में जल कलश में आम के पत्ते लगाकर कलश के मुंह पर मोली बांधे तथा नारियल के लाल कपड़ा लपेटकर जल कलश पर रख दें. यह ध्यान रखें कि इस कलश को मां जगदम्बा की प्रतिमा के दायीं तरफ स्थापित करें.

तिथि के अनुसार करें देवी पूजा-

  • पहले दिन अश्विनी सुदी-१ एकम (7 अक्टूबर): मां शैलपुत्री की पूजा
  • दूसरे दिन अश्विनी सुदी-२ बीज (8अक्टूबर): मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
  • तीसरे दिन अश्विनी सुदी-३/४ तीज/चौथ (9 अक्टूबर): मां चंद्रघंटा व मां कुष्मांडा की पूजा
  • चौथे दिन अश्विनी सुदी-५ पंचमी (10 अक्टूबर): मां स्कंदमाता की पूजा
  • पांचवें दिन अश्विनी सुदी-६ षष्ठी (11 अक्टूबर): मां कात्यायनी की पूजा
  • छठे दिन अश्विनी सुदी-७ शप्तमी (12 अक्टूबर): मां कालरात्रि की पूजा
  • सातवें दिन अश्विनी सुदी-८ दुर्गाष्टमी (13 अक्टूबर): मां महागौरी की पूजा
  • आठवें दिन अश्विनी सुदी-९ रामनवमी (14 अक्टूबर): मां सिद्धिदात्री की पूजा
  • नौवें दिन अश्विनी सुदी-१० विजयादशमी (15 अक्टूबर): दशहरा

कन्या भोज के बिना अधूरी है नवरात्रि आराधना-

शास्त्रों में नवरात्रि की पूर्णाहुति के दिन कन्या पूजन और कन्या भोज को अत्यंत ही महत्वपूर्ण बताया गया है. नवरात्रि का महापर्व कन्या भोज के बिना अधूरा माना जाता है. लोग कन्या पूजा नवरात्रि पर्व के किसी भी दिन या कभी भी कर सकते हैं. लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दो दिनों अष्टमी और नवमीं को कन्या पूजन का श्रेष्ठ दिन माना गया है.

नवरात्रि में देवी मां के सभी साधक कन्याओं को मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मानकर उनकी पूजा करते हैं. सनातन धर्म के लोगों में सदियों से ही कन्या पूजन और कन्या भोज कराने की परंपरा है. विशेषकर कलश स्थापना करने वालों और नौ दिन का वृत-उपवास रखने वालों को लिए कन्या भोज को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

नौ कन्याओं और एक बालक को कराएं भोज-

ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार कन्या पूजन के लिए दो से 10 वर्ष की कन्याओं को बहुत ही शुभ माना गया है. कथाओं में कहा गया है कि कन्या भोज के लिए आदर्श संख्या नौ होती है. वैसे लोग अपनी श्रद्धा अनुसार कम और ज्यादा कन्याओं को भी भोजन करा सकते हैं. कन्या भोज के लिए 10 साल से कम उम्र की बालिकाओं को ही महत्वपूर्ण माना जाता है.

नौ कन्याओं के एक साथ एक छोटे बालक को भी भोज कराने की परम्परा है. माना जाता है कि बालक भैरव बाबा का स्वरूप होता है. यह ध्यान रखें कि कन्याओं को भोजन कराने के बाद उन्हें टीका लगाएं और कलाई पर मोली बांधें. कन्याओं को दक्षिणा के रूप में अपनी श्रद्धानुसार रुपए, फल, वस्त्र भेंट करें.

देवी मंत्र (नवदुर्गा मंत्र)-

मान्यता है कि मां देवी के प्रिय मन्त्रों का जाप करने से मनुष्य को सुख-शांति की अनुभूति होती है और मां लक्ष्मी की हमेशा कृपा बनी रहती है. इसलिए नवरात्रि के दौरान प्रतिदिन मां जगदम्बा के इन 11 मन्त्रों का जाप अवश्य करें-

1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके ।

शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।

2. नवार्ण मंत्र- ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ ।

3. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी ।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते ।।

4. या देवी सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

5. या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

6. या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

7. या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

8. या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

9. या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

10. या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

11. या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता ।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

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